हमारे मजहब में हजारो ऐसे सुरह और दुवाए है, जो हमे जीते जी, और मरने के बाद भी हमारा साथ देते है, उनमे से सुरह यासीन भी एक है, जो हमे काफी सवाब देता है, तो इसलिए आज हम सुरह यासीन को हिंदी में पढ़ना सीखेंगे तो चलिए जानते है Surah yaseen in hindi |
सूरह यासीन क्या है?
अल्लाह व त्ल्लाह ने जमीन और असमान को बनाने से 1000 साल पहले सुरह यासीन कि तिलावत फरमाई | सुरह यासीन को सुनकर फरिस्ते झूम उठे, सुरह यासीन कुरान का दिल है, और ये बड़ी फजीलत वाली सुरह है, तो आज हमलोग जानेंगे Surah yaseen in hindi |
सूरह यासीन के फजीलत (फायदे)
- सुरह यासीन को 1 मरतबा पढने से हमे 10 कुरान के बार सवाब मिलता है |
- सुरह यासीन को अगर आप दिन के शुरू में पढ़ते है, तो अल्लाह व तलाह आपके दिन के सारे जरूरियात को पूरा करता है |
- सुरह यासीन पढने से आपके बिगड़े हुए काम बनते है |
- जुम्मे के रात को अगर आप ये सुरह यासीन पढ़ते है, तो इसका अलग ही फजीलत है |
- सुरह यासीन को अगर आप सोते समय पढ़ते है, तो आपको लाखो फजीलत होती है |
Surah yaseen in hindi (सुरह यासीन हिंदी में)
- या-सीन
- वलकुर आनिल हकीम
- इन्न क ल मिनल मुरसलीन
- अला सिरातिम मुस्तकीम
- तनजीलल अजीज़िर रहीम
- लितुनज़ि र कौमम मा उनज़ि र आबाउहुम फहुम गाफिलून
- ल कद हक्लक कौलु अला अकसरिहिम फहुम ला युअ’मिनून
- इन्ना जअल्ना फी अअ’ना किहिम अगलालन फहिया इलल अजक़ानि फहुम मुक़महून
- व जअल्ना मिमबैनि ऐदी हिम सद्दव वमिन खलफिहिम सद्दन फअग शैनाहुम फहुम ला युबसिरून
- वसवाउन अलैहिम अअनजर तहुम अम लम तुनजिरहुम ला युअ’मिनून
- इन्नमा तुन्ज़िरू मनित तब अज़ ज़िकरा व खशियर रहमान बिल्गैब फबश्शिर हु बिमग फिरतिव व अजरिन करीम
- इन्ना नहनु नुहयिल मौता वनकतुबु मा क़द्दमु व आसारहुम वकुल्ला शयइन अहसैनाहु फी इमामिम मुबीन
- वज़ रिब लहुम मसलन असहाबल करयह इज़ जा अहल मुरसळून
- इज़ अरसलना इलयहिमुस नैनि फकज जबूहुमा फ अज़ ज़ज्ना बिसा लिसिन फकालू इन्ना इलैकुम मुरसळून
- कालू मा अन्तुम इल्ला बशरुम मिसळूना वमा अनजलर रहमानु मिन शय इन इन अन्तुम इल्ला तकज़िबुन
- क़ालू रब्बुना यअ’लमु इन्ना इलैकुम लमुरसळून
- वमा अलैना इल्लल बलागुल मुबीन
- कालू इन्ना ततैयरना बिकुम लइल लम तनतहू लनरजु मन्नकूम वला यमस सन्नकुम मिन्ना अज़ाबुन अलीम
- कालू ताइरुकुम म अकुम अइन ज़ुक्किरतुम बल अन्तुम क़ौमूम मुस रिफून
- व जा अमिन अक्सल मदीनति रजुलुय यसआ काला या कौमित त्तबिउल मुरसलीन
- इत तबिऊ मल ला यस अलुकुम अजरौ वहुम मुहतदून
- वमालिया ला अअ’बुदुल लज़ी फतरनी व इलैहि तुरजऊन
- अ अत्तखिज़ु मिन दुनिही आलिहतन इय युरिदनिर रहमानु बिजुर रिल ला तुगनि अन्नी शफ़ा अतुहुम शय अव वला यूनकिजून
- इन्नी इज़ल लफी ज़लालिम मुबीन
- इन्नी आमन्तु बिरब बिकुम फसमऊन
- कीलद खुलिल जन्नह काल यालैत क़ौमिय यअ’लमून
- बिमा गफरली रब्बी व जअलनी मिनल मुकरमीन
- वमा अन्ज़लना अला क़ौमिही मिन बअ’दिही मिन जुन्दिम मिनस समाइ वमा कुन्ना मुनजलीन
- इन कानत इल्ला सैहतौ वाहिदतन फइज़ा हुम् खामिदून
- या हसरतन अलल इबाद मा यअ’तीहिम मिर रसूलिन इल्ला कानू बिही यस तहज़िउन
- अलम यरौ कम अहलकना क़ब्लहुम मिनल कुरूनि अन्नहुम इलैहिम ला यर जिउन
- वइन कुल्लुल लम्मा जमीउल लदैना मुह्ज़रून
- व आयतुल लहुमूल अरज़ुल मैतह अह ययनाहा व अखरजना मिन्हा हब्बन फमिनहु यअ कुलून
- व जअलना फीहा जन्नातिम मिन नखीलिव व अअ’नाबिव व फज्जरना फीहा मिनल उयून
- लियअ’ कुलु मिन समरिही वमा अमिलत हु अयदीहिम अफला यशकुरून
- सुब्हानल लज़ी ख़लक़ल अज़वाज कुल्लहा मिम मा तुमबितुल अरज़ू वमिन अनफुसिहिम वमिम मा ला अलमून
- व आयतुल लहुमूल लैल नसलखु मिन्हुन नहारा फइज़ा हुम् मुजलिमून
- वश शमसु तजरि लिमुस्त कररिल लहा ज़ालिका तक़्दी रूल अज़ीज़िल अलीम
- वल कमर कद्दरनाहु मनाज़िला हत्ता आद कल उरजुनिल क़दीम
- लश शम्सु यमबगी लहा अन तुद रिकल कमरा वलल लैलु साबिकुन नहार वकुल्लुन फी फलकिय यसबहून
- व आयतुल लहुम अन्ना हमलना ज़ुररिय यतहूम फिल फुल्किल मशहून
- व खलकना लहुम मिम मिस्लिही मा यरकबून
- व इन नशअ नुगरिक हुम फला सरीखा लहुम वाला हुम युन्क़जून
- इल्ला रहमतम मिन्ना व मताअन इलाहीन
- व इजा कीला लहुमुत तकू मा बैना ऐदीकुम वमा खल्फकुम लअल्लकुम तुरहमून
- वमा तअ’तीहिम मिन आयतिम मिन आयाति रब्बिहिम इल्ला कानू अन्हा मुअ रिजीन
- व इज़ा कीला लहुम अन्फिकू मिम्मा रजका कुमुल लाहु क़ालल लज़ीना कफरू लिल लज़ीना आमनू अनुत इमू मल लौ यशाऊल लाहू अत अमह इन अन्तुम इल्ला फ़ी ज़लालिम मुबीन
- व यकूलूना मता हाज़ल व’अदू इन कुनतुम सादिक़ीन
- मा यन ज़ुरूना इल्ला सैहतव व़ाहिदतन तअ खुज़ुहुम वहुम यखिस सिमून
- फला यस्ता तीऊना तौ सियतव वला इला अहलिहिम यरजिऊन
- व नुफ़िखा फिस सूरि फ़इज़ा हुम मिनल अज्दासि इला रब्बिहिम यन्सिलून
- कालू या वय्लना मम ब असना मिम मरक़दिना हाज़ा मा व अदर रहमानु व सदकल मुरसलून
- इन कानत इल्ला सयहतव वहिदतन फ़ इज़ा हुम जमीउल लदैना मुहज़रून
- फल यौम ला तुज्लमु नफ्नसु शय अव वला तुज्ज़व्ना इल्ला मा कुन्तुम तअ’मलून
- इन्न अस हाबल जन्न्तिल यौमा फ़ी शुगुलिन फाकिहून
- हुम व अज्वा जुहूम फ़ी ज़िलालिन अलल अराइकि मुत्तकिऊन
- लहुम फ़ीहा फ़ाकिहतुव वलहुम मा यद् दऊन
- सलामुन क़ौलम मिर रब्बिर रहीम
- वम ताज़ुल यौमा अय्युहल मुजरिमून
- अलम अअ’हद इलैकुम या बनी आदम अल्ला तअ’बुदुश शैतान इन्नहू लकुम अदुववुम मुबीन
- व अनिअ बुदूनी हज़ा सिरातुम मुस्तक़ीम
- व लक़द अज़ल्ला मिन्कुम जिबिल्लन कसीरा अफलम तकूनू तअकिलून
- हाज़िही जहन्नमुल लती कुन्तुम तू अदून
- इस्लौहल यौमा बिमा कुन्तुम तक्फुरून
- अल यौमा नाख्तिमु अल अफ्वा हिहिम व तुकल लिमुना अयदीहिम व तशहदू अरजु लुहुम बिमा कानू यक्सिबून
- व लौ नशाउ लता मसना अला अअ’युनिहिम फ़स तबकुस सिराता फ अन्ना युबसिरून
- व लौ नशाउ ल मसखना हुम अला मका नतिहिम फमस तताऊ मुजिय यौ वला यर जिऊन
- वमन नुअम मिरहु नुनक किसहु फिल खल्क अफला यअ’ किलून
- वमा अल्लम नाहुश शिअ’रा वमा यम्बगी लह इन हुवा इल्ला जिक रुव वकुर आनुम मुबीन
- लियुन जिरा मन काना हय्यव व यहिक क़ल कौलु अलल काफ़िरीन
- अव लम यरव अन्ना खलक्ना लहुम मिम्मा अमिलत अय्दीना अन आमन फहुम लहा मालिकून
- व ज़ल लल नाहा लहुम फ मिन्हा रकू बुहुम व मिन्हा यअ’कुलून
- व लहुम फ़ीहा मनाफ़िउ व मशारिबु अफला यश्कुरून
- वत तखजू मिन दूनिल लाहि आलिहतल लअल्लहुम युन्सरून
- ला यस्ता तीऊना नस रहुम वहुम लहुम जुन्दुम मुह्ज़रून
- फला यह्ज़ुन्का क़व्लुहुम इन्ना नअ’लमु मा युसिर रूना वमा युअ’लिनून
- अव लम यरल इंसानु अन्ना खलक्नाहू मिन नुत्फ़तिन फ़ इज़ा हुवा खासीमुम मुबीन
- व ज़रबा लना मसलव व नसिया खल्कह काला मय युहयिल इजामा व हिय रमीम
- कुल युहयीहल लज़ी अनश अहा अव्वला मर्रह वहुवा बिकुलली खल किन अलीम
- अल्लज़ी जअला लकुम मिनश शजरिल अख्ज़रि नारन फ़ इज़ा अन्तुम मिन्हु तूकिदून
- अ वा लैसललज़ी खलक़स्मासवाती वलअर ज़ बिक़ादिरिन अला य यख्लुक़ा मिस्लहुम बला वहुवल खल्लाकुल अलीम
- इन्नमा अमरुहू इज़ा अरा दा शय अन अय यकूला लहू कुन फ यकून
- फ सुब हानललज़ी बि यदिही मलकूतु कुल्ली शय इव व इलैहि तुरजउन
Surah yaseen in Arbi
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
1. يس
2. وَالْقُرْآنِ الْحَكِيمِ
3. إِنَّكَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ
4. عَلَىٰ صِرَاطٍ مُسْتَقِيمٍ
5. تَنْزِيلَ الْعَزِيزِ الرَّحِيمِ
6. لِتُنْذِرَ قَوْمًا مَا أُنْذِرَ آبَاؤُهُمْ فَهُمْ غَافِلُونَ
7. لَقَدْ حَقَّ الْقَوْلُ عَلَىٰ أَكْثَرِهِمْ فَهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ
8. إِنَّا جَعَلْنَا فِي أَعْنَاقِهِمْ أَغْلَالًا فَهِيَ إِلَى الْأَذْقَانِ فَهُمْ مُقْمَحُونَ
9. وَجَعَلْنَا مِنْ بَيْنِ أَيْدِيهِمْ سَدًّا وَمِنْ خَلْفِهِمْ سَدًّا فَأَغْشَيْنَاهُمْ فَهُمْ لَا يُبْصِرُونَ
10. وَسَوَاءٌ عَلَيْهِمْ أَأَنْذَرْتَهُمْ أَمْ لَمْ تُنْذِرْهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ
11. إِنَّمَا تُنْذِرُ مَنِ اتَّبَعَ الذِّكْرَ وَخَشِيَ الرَّحْمَٰنَ بِالْغَيْبِ ۖ فَبَشِّرْهُ بِمَغْفِرَةٍ وَأَجْرٍ كَرِيمٍ
12. إِنَّا نَحْنُ نُحْيِي الْمَوْتَىٰ وَنَكْتُبُ مَا قَدَّمُوا وَآثَارَهُمْ ۚ وَكُلَّ شَيْءٍ أَحْصَيْنَاهُ فِي إِمَامٍ مُبِينٍ
13. وَاضْرِبْ لَهُمْ مَثَلًا أَصْحَابَ الْقَرْيَةِ إِذْ جَاءَهَا الْمُرْسَلُونَ
14. إِذْ أَرْسَلْنَا إِلَيْهِمُ اثْنَيْنِ فَكَذَّبُوهُمَا فَعَزَّزْنَا بِثَالِثٍ فَقَالُوا إِنَّا إِلَيْكُمْ مُرْسَلُونَ
15. قَالُوا مَا أَنْتُمْ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا وَمَا أَنْزَلَ الرَّحْمَٰنُ مِنْ شَيْءٍ إِنْ أَنْتُمْ إِلَّا تَكْذِبُونَ
16. قَالُوا رَبُّنَا يَعْلَمُ إِنَّا إِلَيْكُمْ لَمُرْسَلُونَ
17. وَمَا عَلَيْنَا إِلَّا الْبَلَاغُ الْمُبِينُ
18. قَالُوا إِنَّا تَطَيَّرْنَا بِكُمْ ۖ لَئِنْ لَمْ تَنْتَهُوا لَنَرْجُمَنَّكُمْ وَلَيَمَسَّنَّكُمْ مِنَّا عَذَابٌ أَلِيمٌ
19. قَالُوا طَائِرُكُمْ مَعَكُمْ ۚ أَئِنْ ذُكِّرْتُمْ ۚ بَلْ أَنْتُمْ قَوْمٌ مُسْرِفُونَ
20. وَجَاءَ مِنْ أَقْصَى الْمَدِينَةِ رَجُلٌ يَسْعَىٰ قَالَ يَا قَوْمِ اتَّبِعُوا الْمُرْسَلِينَ
21. اتَّبِعُوا مَنْ لَا يَسْأَلُكُمْ أَجْرًا وَهُمْ مُهْتَدُونَ
22. وَمَا لِيَ لَا أَعْبُدُ الَّذِي فَطَرَنِي وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ
23. أَأَتَّخِذُ مِنْ دُونِهِ آلِهَةً إِنْ يُرِدْنِ الرَّحْمَٰنُ بِضُرٍّ لَا تُغْنِ عَنِّي شَفَاعَتُهُمْ شَيْئًا وَلَا يُنْقِذُونِ
24. إِنِّي إِذًا لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ
25. إِنِّي آمَنْتُ بِرَبِّكُمْ فَاسْمَعُونِ
26. قِيلَ ادْخُلِ الْجَنَّةَ ۖ قَالَ يَا لَيْتَ قَوْمِي يَعْلَمُونَ
27. بِمَا غَفَرَ لِي رَبِّي وَجَعَلَنِي مِنَ الْمُكْرَمِينَ
28. وَمَا أَنْزَلْنَا عَلَىٰ قَوْمِهِ مِنْ بَعْدِهِ مِنْ جُنْدٍ مِنَ السَّمَاءِ وَمَا كُنَّا مُنْزِلِينَ
29. إِنْ كَانَتْ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً فَإِذَا هُمْ خَامِدُونَ
30. يَا حَسْرَةً عَلَى الْعِبَادِ ۚ مَا يَأْتِيهِمْ مِنْ رَسُولٍ إِلَّا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ
31. أَلَمْ يَرَوْا كَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِنَ الْقُرُونِ أَنَّهُمْ إِلَيْهِمْ لَا يَرْجِعُونَ
32. وَإِنْ كُلٌّ لَمَّا جَمِيعٌ لَدَيْنَا مُحْضَرُونَ
33. وَآيَةٌ لَهُمُ الْأَرْضُ الْمَيْتَةُ أَحْيَيْنَاهَا وَأَخْرَجْنَا مِنْهَا حَبًّا فَمِنْهُ يَأْكُلُونَ
34. وَجَعَلْنَا فِيهَا جَنَّاتٍ مِنْ نَخِيلٍ وَأَعْنَابٍ وَفَجَّرْنَا فِيهَا مِنَ الْعُيُونِ
35. لِيَأْكُلُوا مِنْ ثَمَرِهِ وَمَا عَمِلَتْهُ أَيْدِيهِمْ ۖ أَفَلَا يَشْكُرُونَ
36. سُبْحَانَ الَّذِي خَلَقَ الْأَزْوَاجَ كُلَّهَا مِمَّا تُنْبِتُ الْأَرْضُ وَمِنْ أَنْفُسِهِمْ وَمِمَّا لَا يَعْلَمُونَ
37. وَآيَةٌ لَهُمُ اللَّيْلُ نَسْلَخُ مِنْهُ النَّهَارَ فَإِذَا هُمْ مُظْلِمُونَ
38. وَالشَّمْسُ تَجْرِي لِمُسْتَقَرٍّ لَهَا ۚ ذَٰلِكَ تَقْدِيرُ الْعَزِيزِ الْعَلِيمِ
39. وَالْقَمَرَ قَدَّرْنَاهُ مَنَازِلَ حَتَّىٰ عَادَ كَالْعُرْجُونِ الْقَدِيمِ
40. لَا الشَّمْسُ يَنْبَغِي لَهَا أَنْ تُدْرِكَ الْقَمَرَ وَلَا اللَّيْلُ سَابِقُ النَّهَارِ ۚ وَكُلٌّ فِي فَلَكٍ يَسْبَحُونَ
41. وَآيَةٌ لَهُمْ أَنَّا حَمَلْنَا ذُرِّيَّتَهُمْ فِي الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ
42. وَخَلَقْنَا لَهُمْ مِنْ مِثْلِهِ مَا يَرْكَبُونَ
43. وَإِنْ نَشَأْ نُغْرِقْهُمْ فَلَا صَرِيخَ لَهُمْ وَلَا هُمْ يُنْقَذُونَ
44. إِلَّا رَحْمَةً مِنَّا وَمَتَاعًا إِلَىٰ حِينٍ
45. وَإِذَا قِيلَ لَهُمُ اتَّقُوا مَا بَيْنَ أَيْدِيكُمْ وَمَا خَلْفَكُمْ لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُونَ
46. وَمَا تَأْتِيهِمْ مِنْ آيَةٍ مِنْ آيَاتِ رَبِّهِمْ إِلَّا كَانُوا عَنْهَا مُعْرِضِينَ
47. وَإِذَا قِيلَ لَهُمْ أَنْفِقُوا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللَّهُ قَالَ الَّذِينَ كَفَرُوا لِلَّذِينَ آمَنُوا أَنُطْعِمُ مَنْ لَوْ يَشَاءُ اللَّهُ أَطْعَمَهُ إِنْ أَنْتُمْ إِلَّا فِي ضَلَالٍ مُبِينٍ
48. وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هَٰذَا الْوَعْدُ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ
49. مَا يَنْظُرُونَ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً تَأْخُذُهُمْ وَهُمْ يَخِصِّمُونَ
50. فَلَا يَسْتَطِيعُونَ تَوْصِيَةً وَلَا إِلَىٰ أَهْلِهِمْ يَرْجِعُونَ
51. وَنُفِخَ فِي الصُّورِ فَإِذَا هُمْ مِنَ الْأَجْدَاثِ إِلَىٰ رَبِّهِمْ يَنْسِلُونَ
52. قَالُوا يَا وَيْلَنَا مَنْ بَعَثَنَا مِنْ مَرْقَدِنَا ۜ ۗ هَٰذَا مَا وَعَدَ الرَّحْمَٰنُ وَصَدَقَ الْمُرْسَلُونَ
53. إِنْ كَانَتْ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً فَإِذَا هُمْ جَمِيعٌ لَدَيْنَا مُحْضَرُونَ
54. فَالْيَوْمَ لَا تُظْلَمُ نَفْسٌ شَيْئًا وَلَا تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ
55. إِنَّ أَصْحَابَ الْجَنَّةِ الْيَوْمَ فِي شُغُلٍ فَاكِهُونَ
56. هُمْ وَأَزْوَاجُهُمْ فِي ظِلَالٍ عَلَى الْأَرَائِكِ مُتَّكِئُونَ
57. لَهُمْ فِيهَا فَاكِهَةٌ وَلَهُمْ مَا يَدَّعُونَ
58. سَلَامٌ قَوْلًا مِنْ رَبٍّ رَحِيمٍ
59. وَامْتَازُوا الْيَوْمَ أَيُّهَا الْمُجْرِمُونَ
60. أَلَمْ أَعْهَدْ إِلَيْكُمْ يَا بَنِي آدَمَ أَنْ لَا تَعْبُدُوا الشَّيْطَانَ ۖ إِنَّهُ لَكُمْ عَدُوٌّ مُبِينٌ
61. وَأَنِ اعْبُدُونِي ۚ هَٰذَا صِرَاطٌ مُسْتَقِيمٌ
62. وَلَقَدْ أَضَلَّ مِنْكُمْ جِبِلًّا كَثِيرًا ۖ أَفَلَمْ تَكُونُوا تَعْقِلُونَ
63. هَٰذِهِ جَهَنَّمُ الَّتِي كُنْتُمْ تُوعَدُونَ
64. اصْلَوْهَا الْيَوْمَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْفُرُونَ
65. الْيَوْمَ نَخْتِمُ عَلَىٰ أَفْوَاهِهِمْ وَتُكَلِّمُنَا أَيْدِيهِمْ وَتَشْهَدُ أَرْجُلُهُمْ بِمَا كَانُوا يَكْسِبُونَ
66. وَلَوْ نَشَاءُ لَطَمَسْنَا عَلَىٰ أَعْيُنِهِمْ فَاسْتَبَقُوا الصِّرَاطَ فَأَنَّىٰ يُبْصِرُونَ
67. وَلَوْ نَشَاءُ لَمَسَخْنَاهُمْ عَلَىٰ مَكَانَتِهِمْ فَمَا اسْتَطَاعُوا مُضِيًّا وَلَا يَرْجِعُونَ
68. وَمَنْ نُعَمِّرْهُ نُنَكِّسْهُ فِي الْخَلْقِ ۖ أَفَلَا يَعْقِلُونَ
69. وَمَا عَلَّمْنَاهُ الشِّعْرَ وَمَا يَنْبَغِي لَهُ ۚ إِنْ هُوَ إِلَّا ذِكْرٌ وَقُرْآنٌ مُبِينٌ
70. لِيُنْذِرَ مَنْ كَانَ حَيًّا وَيَحِقَّ الْقَوْلُ عَلَى الْكَافِرِينَ
71. أَوَلَمْ يَرَوْا أَنَّا خَلَقْنَا لَهُمْ مِمَّا عَمِلَتْ أَيْدِينَا أَنْعَامًا فَهُمْ لَهَا مَالِكُونَ
72. وَذَلَّلْنَاهَا لَهُمْ فَمِنْهَا رَكُوبُهُمْ وَمِنْهَا يَأْكُلُونَ
73. وَلَهُمْ فِيهَا مَنَافِعُ وَمَشَارِبُ ۖ أَفَلَا يَشْكُرُونَ
74. وَاتَّخَذُوا مِنْ دُونِ اللَّهِ آلِهَةً لَعَلَّهُمْ يُنْصَرُونَ
75. لَا يَسْتَطِيعُونَ نَصْرَهُمْ وَهُمْ لَهُمْ جُنْدٌ مُحْضَرُونَ
76. فَلَا يَحْزُنْكَ قَوْلُهُمْ ۘ إِنَّا نَعْلَمُ مَا يُسِرُّونَ وَمَا يُعْلِنُونَ
77. أَوَلَمْ يَرَ الْإِنْسَانُ أَنَّا خَلَقْنَاهُ مِنْ نُطْفَةٍ فَإِذَا هُوَ خَصِيمٌ مُبِينٌ
78. وَضَرَبَ لَنَا مَثَلًا وَنَسِيَ خَلْقَهُ ۖ قَالَ مَنْ يُحْيِي الْعِظَامَ وَهِيَ رَمِيمٌ
79. قُلْ يُحْيِيهَا الَّذِي أَنْشَأَهَا أَوَّلَ مَرَّةٍ ۖ وَهُوَ بِكُلِّ خَلْقٍ عَلِيمٌ
80. الَّذِي جَعَلَ لَكُمْ مِنَ الشَّجَرِ الْأَخْضَرِ نَارًا فَإِذَا أَنْتُمْ مِنْهُ تُوقِدُونَ
81. أَوَلَيْسَ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ بِقَادِرٍ عَلَىٰ أَنْ يَخْلُقَ مِثْلَهُمْ ۚ بَلَىٰ وَهُوَ الْخَلَّاقُ الْعَلِيمُ
82. إِنَّمَا أَمْرُهُ إِذَا أَرَادَ شَيْئًا أَنْ يَقُولَ لَهُ كُنْ فَيَكُونُ
83. فَسُبْحَانَ الَّذِي بِيَدِهِ مَلَكُوتُ كُلِّ شَيْءٍ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ
आपने क्या पढ़ा ?
दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपने पढ़ा सूरह यासीन हिंदी में पढ़े (Surah yaseen in hindi) तो उम्मीद करता हूँ ये सुरह आपको अच्छा लगा होगा अगर पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर करे और हमसे जुड़े रहने के लिए whatsapp से जुड़े |
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